Saturday 24 August 2019

दो ठकुराइन और एक ठाकुर... राधा, रुक्मणी और कान्हा।





दो ठकुराइन और एक ठाकुर... राधा, रुक्मणी और कान्हा।

दोनों का प्रेम पूर्ण.. एक का प्रेम निर्मल, बाँसुरी बजाने वाला वहीं दूसरी का सुदर्शन चक्रधारी, राजनीतिज्ञ।
एक ने गौ माता को चराते, माखन चुराते कन्हैया को चाहा,, तो दूसरी ने विलासपूर्ण जीवन बिताते महायोद्धा का।
रुक्मणी कृष्णा की पत्नी तो बनी लेकिन कृष्णा के ही दिल की लीला न देख सकीं,, न वो रूप देखा जिसका स्मरण हम सब करते हैं, न उनके हिस्से बाँसुरी आई न माखन...

कितनी अद्भुत लीला है, राधिका के लिए कृष्ण कन्हैया था, रुक्मणी के लिए कन्हैया कृष्ण थे। पत्नी होने के बाद भी रुक्मणी को कृष्ण उतने नहीं मिले कि वे उन्हें "तुम" कह पातीं। आप से तुम तक की इस यात्रा को पूरा कर लेना ही प्रेम का चरम पा लेना है। रुक्मणी कभी यह यात्रा पूरी नहीं कर सकीं और राधिका की यात्रा प्रारम्भ ही 'तुम' से हुई थीं। उन्होंने प्रारम्भ ही "चरम" से किया था। शायद तभी उन्हें कृष्ण नहीं मिले।

कितना अजीब है न! कृष्ण जिसे नहीं मिले, युगों युगों से आजतक उसी के हैं, और जिसे मिले उसे मिले ही नहीं...
तभी तो कहते हैं, कृष्ण को पाने का प्रयास मत कीजिये। पाने का प्रयास कीजियेगा तो कभी नहीं मिलेंगे। बस प्रेम कर के छोड़ दीजिए, जीवन भर साथ निभाएंगे कृष्ण। कृष्ण इस सृष्टि के सबसे अच्छे मित्र भी हैं और प्रेमी भी,, राधिका हों या सुदामा, कृष्ण ने जो निभाया, ऐसा निभाया कि इतिहास बन गया।

राधा और रुक्मणी जब मिलती होंगी तो रुक्मणी राधा के वस्त्रों में माखन की गंध ढूंढती होंगी, और राधा ने रुक्मणी के आभूषणों में कृष्ण का वैभव तलाशा होगा।

जितनी चीज़ें कृष्ण से छूटीं उतनी तो किसी से नहीं छूटीं।
कृष्ण से जन्म पर उनकी माँ छूटी, पिता छूटे, फिर जो मिले...नंद-यशोदा मिले.. वे भी छूटे।
संगी-साथी छूटे... राधा छूटीं... गोकुल छूटा... फिर मथुरा छूटी।
कृष्ण से जीवन भर कुछ न कुछ छूटता ही रहा। कृष्ण जीवन भर त्याग करते रहे।
हमारी आज की पीढ़ी जो कुछ भी छूटने पर टूटने लगती है, उसे कृष्ण को गुरु बना लेना चाहिए। जो कृष्ण को समझ लेगा वह कभी अवसाद में नहीं जाएगा।
कृष्ण आनंद के देवता है। कुछ छूटने पर भी कैसे खुश रहा जा सकता है, यह कृष्ण से अच्छा कोई सिखा ही नहीं सकता।
महागुरु हैं मेरे "कन्हैया" और मैं उनसे सीखती उनकी राधा।

कृष्णा जन्माष्टमी की आप सभी को हार्दिक बधाई एवं अभिनंदन।

सादर,
विनीत तोमर सिवाल

PIC Source: Google Web Search