Monday 20 July 2020

"शिव सा वर दो प्रभु या मेरा वर शिव सा हो" सोलह सोमवार करती कन्या की दुविधा







ऐसे ही नहीं महादेव से वर का वरण चाहती हैं महिलाएं लेकिन भक्ति के इस रूप को कभी समझा भी?

एक ओर सती ने न जाने कितने जन्म लिए महादेव को पाने को, उसके लिए मनुष्य से ईश्वर बनने का सफर आसान नहीं था, आखिर तीन जन्म उपरांत उसने महादेव को पा ही लिया, अपनी तपस्या से, अपनी भक्ति से।

लेकिन तीनों जन्म में पैर में चुभते हर काँटे से रक्षा करते रहे उसकी महादेव। 

महादेव तो त्रिलोकी हैं, सब ज्ञात है उनको लेकिन वो रक्षा इसलिए नहीं करते थे कि वह उनकी अर्धांगनी बनेगी और वह भी वैराग्य को त्याग गृहस्थ जीवन का सुख अनुभूत कर पाएंगे अपितु वह उसकी राह से हर कांटा उसकी भक्ति के कारण निकालते गए।

सती का अस्त्तिव नहीं है महादेव बिना लेकिन क्या महादेव हैं सती बिना?
सती से पार्वती..
ब्रह्माण्ड की पहली प्रेम कथा,
पहला एहसास,
पहला गृहस्थ जीवन,
पहला परिवार..
महादेव तो देवों के देव हैं लेकिन महादेव सा प्रेमी भी कोई नहीं!

पति धर्म पत्नी की रक्षा सीखाता है, लेकिन प्रेमी रूप पति का... पत्नी को जीवित ही नहीं अपितु जीवंत रखता है।

किसी की बेटी जब जयमाल डाल कर आपका वरण करती है तो उसे सिर्फ पत्नी न बनाए, अर्धांगनी बनाए..पूर्ण समर्पण करें।
कलयुग में बहुत कुछ बेमानी, असंभव सा जरूर लगता है लेकिन प्रेम शिव का भी यही था, राम का भी यही था, कृष्ण का भी यही था.. युगों युगों तक न प्रेम की प्रकति बदली न उसका एहसास। 

आप किसी को अपना तो सकते हो लेकिन उसे पाने का आपको संकल्प करना पड़ेगा, किसी को पाना ही तो जीवन का आधार है। पाना आसान नहीं.. इसके लिए तपस्या करनी पड़ती है, सती सी, शिव सी.. खुद को त्यागना पड़ता है.. किसी को पाना शारीरिक क्रिया नहीं अपितु आध्यात्मिक होती है। ह्रदय से लेकर मष्तिक तक का सफर ही तो युगों युगों की भक्ति है। 

तभी तो आज भी चलन है "शिव सा पति 'चाहती' हो तो शिव पार्वती आराधना करो".. मैं कहती हूँ निरर्थक है, निराधार है यह बात। 

सखी, आराधना करनी है तो यह करो कि "जिससे विवाह हो वो आपको शिव सा प्रेम करे न कि वह स्वयं शिव सा हो" क्योंकि शिव सा होकर भी जरूरी नहीं वह  आपका हो और उसकी सती आप ही हों? ऐसा तय तो नहीं.. 

इस सावन से सोमवार का व्रत करने वाली हर छोटी बहन को यही कहूँगी, की वर शिव "जैसा" न मांगों, अपितु मांगों की आपका वर जैसा भी हो, वह शिव सा हो आपके प्रति।

कहते हैं लड़के का रूप नहीं, गुण देखा जाता है, यह कथन शिव पार्वती से ही तो आया है.. वरना विश्वसुंदरी सी राजकुमारी को नाग से लिपटा, भस्म को लपेटे.. दुशाला ओढ़े, भूत प्रेतों से घिरे शिव से प्रेम हुआ? पार्वती को प्रेम हुआ निश्चल प्रेम के एहसास से, उसको प्रेम हुआ शिव के कर्म से, शिव के अंलकृत हृदय से.. उसको प्रेम हुआ एक शशस्क्त शक्ति से जो उसके लिए हर त्याग कर रही थी। 

शिव सा वर दो प्रभु या मेरा वर शिव सा हो !!
विचार करके वर माँगना..

हर हर महादेव। 🚩🙏

सादर,
मेरी कलम से,
विनीत तोमर सिवाल